Saturday, June 14, 2014

मेरा साला और में

इक दिन घर आया मेरा साला,
आते ही मुज पर चिल्लाया,
जीजाजी, कुछ तो शर्म करो,
अपना ना सही मेरा तो ख्याल करो,
जब भी में आपके घर आता हूँ,
आपको ही घर का काम में पाता हूँ,
कभी कपडे, कभी बर्तन,
कभी रसोइमें पता हूँ,
जीजी  मेरी बड़ी आलसी,
और गर्म दिमाग,
दिन भर देखे वोः  टी.वी. , रात को करे आराम,
घर गृहस्थी और व्यापर दोनों ही आपके काम,
प्यारे जीजा कुछ तो रहम करो,
जब में आपके यंहा आवु तब तो आराम करो,
मेरी बीवी आपको देख मुजसे लड़ती है,
घर के सारे काम मुझे सीखनेको कहती है,
  दिन मुश्किलसे काट रहे हे मेरे,
घरमे रोज बढ़ रहे हे ज़घड़े ,
अपनी बीवीको रोज समजाता हूँ,
रोज ही नाकामयाब हो जाता हूँ,
विनती है आपसे, जीजी को समजाओ,
प्यारसे उन्हें बताओ, कम से कम बहार वालो के सामने,
घर के काम मत कराओ, बनी रहेगी ईज्जत आपकी,
और मेरे घरकी भी बनी रहेगी सुख शांती|

- आशिष महेता



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