सच में, बचपन की वो दुनिया बहोत ही हसीन थी,
छोटी छोटी बातों में बड़ी बड़ी ख़ुशी मिलती थी,
वो खिलोन से खेलना और चॉकलेट बाँट के खाना,
कभी रूठना, फिर मनाना, फिर साथ में खेलना,
जिंदगी का वो दौर न जाने कब गुज़र गया,
दिल की मासूमियत अपने ही साथ ले गया,
याद आज हम करते है उन लम्हों को,
जब कभी हम दिल खोल के हसते थे,
लाखों कमाने के बाद भी हम आज उदास है,
बचपन के वो दोस्तों के बिना महफ़िल में भी तन्हा है।
छोटी छोटी बातों में बड़ी बड़ी ख़ुशी मिलती थी,
वो खिलोन से खेलना और चॉकलेट बाँट के खाना,
कभी रूठना, फिर मनाना, फिर साथ में खेलना,
जिंदगी का वो दौर न जाने कब गुज़र गया,
दिल की मासूमियत अपने ही साथ ले गया,
याद आज हम करते है उन लम्हों को,
जब कभी हम दिल खोल के हसते थे,
लाखों कमाने के बाद भी हम आज उदास है,
बचपन के वो दोस्तों के बिना महफ़िल में भी तन्हा है।
आशिष महेता
बचपन का वो दौर by Ashish A. Mehta is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License.
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